barf ki barish kaise hoti hai : आसमान में बर्फ आता कहा से है – aasman se barf kaise girta hai

आसमान में बर्फ कहाँ से आता है ? aasman se barf kaise girta hai

 

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क्या आपने कभी सोचा है की बादलों में बर्फ आता कहाँ से है? और आसमान से बर्फ गिरता कैसे है? अधिकतर आपने देखा होगा की ठंडे इलाकों में ज्यादातर बर्फ गिरती है तो कहीं ओलें गिरते हैं|और ये आसमान में आते कहाँ से है और ये कैसे बनते हैं और आसमान से गिरता कैसे है? जमीन से जब ऊपर के और जाते हैं
तो तापमान बढ़ना चाहिए जब सूर्य के और नजदीक जाते हैं तो तापमान भी बढ़ना चाहिए बल्कि तापमान और घटता है ऐसा क्यों होता है? बर्फ जब गिरता है तो एक ही बार में एक साथ इकट्ठा क्यों नहीं गिरता है? हर जगह थोड़ा-थोड़ा करके क्यों गिरता है ये सारे सवाल आपके भी दी माग में आते होंगे तो इन सब के जवाब आज हम जानेंगे|
यह तो हम सब जानते हैं की बर्फ पानी की एक अवस्था है और यह पानी के जमने से बनता है जब भी पानी शून्य डिग्री सेल्सियस(0˚ C) या उससे कम माइनस डीग्री सेल्सियस  (-1˚C) होता है तो बर्फ बन जाता है जैसे-जैसे हम समुंद्र तल से ऊचाई की ओर जाते हैं यानिकी जमीन से ऊंचाई के और जाते हैं तो तापमान धीरे-धीरे कम होते जाता है जिसके दो कारण हैं–

1.गुरुत्वाकर्षण बल- पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल हवा को सतह के करीब खिचता है|

2.घनत्व और वायुदाब- वायुदाब की कमी के कारण यह आप भी जानते हैं की किसी वस्तु में मौजूद परमाणुओं और अणुओं की गति के कारण ही उस वस्तु का तापमान बढ़ता है लेकिन आसमान में बादलो के बीच ऐसा नहीं है जैसे -जैसे ऊंचाई बढ़ती है हवा में गैंस की अणुओं की मात्रा घटती जाती है|

आसान भाषा में बोले तो जैसे-जैसे हवा ऊपर की ओर बढ़ती है हवा का विस्तार/ फैलाव भी बढ़ता है क्योंकि वहां कोई भी चीज़ नहीं होती|जैसे जमीन में बहुत सारे घर हैं, जमीन है, पेड़-पौधे हैं, नदी है ,पहाड़ है,और वहां खाली जगह होता है तो हवा हर जगह धीरे-धीरे फैलती जाती है और नाइट्रोजन ऑक्सीजन कार्बन-डाई-ऑक्साइड जैसे गैंस के अणुओं एक-दुसरे से टकराने की सम्भावना कम हो जाती है जिसके कारण तापमान शून्य से भी कई डिग्री कम हो जाता है|

जिससे हवा का फैलाव होने के कारण तापमान नहीं बढ़ पाता और जिसके वजह से हवा में मौजूद नमी संघनित हो जाती है   यानी भाप/वापस पानी में बदल जाता है और यह पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है इन जमी हुई बूंदों पर धीरे-धीरे और पानी जमता जाता है और ये बर्फ के टुकड़ों का रूप ले लेती हैं तभी इन टुकड़ों का वजन काफी अधिक बढ़ जाता है तब यह नीचे गिरने लगते हैं गिरते समय वायुमंडल में मौजूद गर्म हवा से टकराकर यह पीघलने लगते हैं और पानी की बूंदों में बदल जाते हैं|

जो कि बारिश के रूपों में नीचे गिरते हैं लेकिन बर्फ के अधिक मोटे और भारी टुकड़े जो पूरी तरह पिघल नहीं पाते तो ये बर्फ के छोटे-छोटे गोल-गोल टुकड़ों के रूप में जमीन पर गिरने लगते हैं जिसे हम ओलें बोलते हैं या बर्फ बोलते हैं और बर्फबारी भी बोलते हैं|

जब बादल से बर्फ के कण गिरते हैं तो यह एक ही जगह ढेर के रूप में इक्टठा जमा क्यों
नहीं होता –

जब बर्फ के कण नीचे गिरते हैं तो ये आपस में एक-दुसरे के साथ मिल जाते हैं जिससे इनका आकार बढ़ जाता है वही जब यह कण जमीन में गिरते हैं तो हवा के चलते ये एक स्थान पर नहीं गिरते और जगह–जगह बिखर जाते हैं और पूरे क्षेत्र में फ़ैल जाते हैं|

 

 

 

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