पीपल के नीचे रात को सोने से क्या होता है?

pipal ke ped ke niche sone se kya hota hai : क्या आपने कभी सोचा है? रात को पीपल के पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए और घर के बड़े बुजुर्ग भी रात को हमे पेड़ के नीचे सोने से मना क्यों करते हैं ? और क्यों अकसर लोग बोलते हैं की पीपल ,बरगद ऐसे पेड़ो के नीचे रात को नहीं सोना चाहिये और यदि कोई सोता है तो उसे दम घुटने जैसा एहसास होता है |

 क्या रात को पेड़ ने नीचे कोई भूत होता है ? या इसके पीछे कुछ और ही राज है | तो ऐसा क्यों होता है आज हम जानेंगे

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पीपल के पेड़ के नीचे सोने से क्या होता है?

पीपल का पेड़ भारत के सबसे पवित्र पेड़ों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी छाया में खड़े लोगों के लिए यह शांति, समृद्धि और खुशी लाता है। लोगों का यह भी मानना है कि यह अनिद्रा सहित कई बीमारियों को ठीक कर सकता है। लेकिन क्या हो अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे सो जाए? या रात भर पीपल के पेड़ के नीचे सोया रहे ?

रात में पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिये : पेड़ो में स्वसन यानि की स्वाश  लेने के लिए कोई विशिष्ट अंग नहीं होते हैं | पेड़ो में स्वसन  पत्तियों में मौजूद जो छिद्र होते है उनके द्वारा होता है  इन छिद्रों को स्टोमेटा कहा जाता है

इसके अलावा पेड़ के तने पर भी छिद्र (मिक्रोस्कोप में ही दिख सकते हो इतने छोटे होते हैं ) होते हैं | जिनसे स्वसन (सास लेना) क्रिया होती है पेड़ की जड़े जमीन से खनिज लवण और सतह से स्वाश लेती हैं यानी पूरे पेड़ में जो स्वसन  की क्रिया लगातार चलती रहती है ( जैसे हम सास लेते है ) जिसमें पेड़- पौधे ओक्सीजन O2 का उपयोग करके  Reaction :

ये तो आप भी जानते होंगे की दिन के समय पेड़-पौधें प्रकाश शंसलेशन के माध्यम से अपने लिए
भोजन बनाते हैं इसके लिए पौंधें सूर्य के प्रकाश ( Sunrays ) में कार्बनडाई ऑक्साइड
co2और पानी ( H2O ) का इस्तेमाल करके ग्लूकोज ( C6H6O6) और ओक्सीजन “o2 बनाते हैं जैसे हम सास लेते
है वैसे ही
पेड़ो में और स्वसन क्रिया लगातार चलती रहती है लेकिन बात करे सुबह यानी दिन के समय की तो स्वाश लेने से जो कार्बनडाई ऑक्साइड बनती है

 पत्तियों के अंदर ही जमा हो जाता है जिसका इस्तेमाल प्रकाश शंसलेशन की क्रिया में किया जाता है और साथ में पेड़ –पोधे अपना खाना बनाते है इस क्रिया में सारी कार्बनडाई-ऑक्साइड खत्म हो जाती है और ऑक्सीजन o2 ही बाहर निकलती है ऐसे में दिन के समय पेड़ो से ऑक्सीजन मिलती है और पेड़ के नीचे
सोने से ऑक्सीजन मिलती है |

 रात में ऐसा नहीं होता रात में पेड़-पौधे में स्वसन क्रिया तो चलती रहती है,लेकिन प्रकाश शंसलेशन ( Photosynthesis ) की क्रिया नहीं होती ऐसे में रात के समय ऑक्सीजन  नहीं बनता इस दौरान स्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन खर्च होती है और कार्बन डाई ऑक्साइड बनती है मतलब पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर छोड़ते हैं ऐसे में अगर आप रात के समय पेड़ के नीचे सोए तो कार्बनडाई-ऑक्साइड मिलने के वजह से दम घुटने लगेगा  यानी सास तो उस वक्त भी ले पाओगे लेकिन कार्बन-डाईऑक्साइड की जादा मात्रा होने के वजह से दम घुटने
|

इसलिए रात के समय पेड़ो के नीचे नहीं सोना चाहिए, यही कारण है | और बात करे जो हमारे बड़े बुजुर्ग बोलते हैं, इसके पीछे का राज यही है की “ रात के समय जो पेड़- पौधे होते हैं वो कार्बनडाई-ऑक्साइड [co2 ] छोड़ते हैं | और दिन में ओक्सीजन [o2 ] छोड़ते हैं और जो दम घुटने जैसा महसूस होता है पीपल के पेड़ के नीचे सोने से वो इसी कारण से होता है |

काम की जानकारी :

फूल और पेड़ सूर्य के प्रकाश से भोजन कैसे उत्पन्न करते हैं?

इस प्रश्न का उत्तर काफी जटिल है। तीन प्रमुख तरीके हैं जिनसे पौधे प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जिसे प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है।

1) पत्ती में प्रकाश के फोटॉन अवशोषण से एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन उत्पन्न होता है, जिसका उपयोग पौधे के क्लोरोप्लास्ट द्वारा पानी को ऑक्सीकरण करके रासायनिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।

2) पौधों के प्रकाश संश्लेषण से कार्बन डाइऑक्साइड, पानी और सूर्य के प्रकाश से चीनी (ग्लूकोस ) के अणु बनते हैं जिनकी पौधों को अपने अस्तित्व के लिए आवश्यकता होती है।

3) प्रकाश संश्लेषण के उत्पादों का उपयोग पौधे के स्वयं के विकास और विकास के लिए या उसके जीवन चक्र के अन्य भागों के लिए भोजन के रूप में किया जाता है।

 

प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की प्राथमिक भूमिका क्या है?

क्लोरोफिल एक हरा रंगद्रव्य है जो पौधों में पाया जाता है। यह प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह समझने के लिए कि क्लोरोफिल कैसे काम करता है, हमें पहले यह जानना होगा कि प्रकाश संश्लेषण क्या है। प्रकाश संश्लेषण एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग पौधे और शैवाल प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए करते हैं। क्लोरोफिल इस विभाजन प्रतिक्रिया का उपयोग करके पानी के अणुओं और सूर्य के प्रकाश को हाइड्रोजन आयनों (H+) और ऑक्सीजन () अणुओं में विभाजित करता है, जो ATP के रूप में ऑक्सीजन गैस, प्रोटॉन (H+), इलेक्ट्रॉनों (e-), और ऊर्जा का उत्पादन करता है। जिसका उपयोग पौधे अपना खाना बनाने के लिए करते है जो जीवन को बनाए रखने के लिए
आवश्यक है।

क्लोरोफिल की दो मुख्य प्रतिक्रियाएं होती हैं: एक पानी के अणुओं के साथ और एक प्रकाश के साथ।

उम्मिद करता हूँ आपको समझ आ गया होगा rat ko ped ke niche kyu nahi sona chahiye , raat ko ped ke niche kyon nahi sona chahiye , raat ko pipal ke ped ke niche kyon nahi sona chahiye और आपको पता चल गया होगा , अगर कोई सवाल हो  तो जरुर पूछें

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